क्या हो जब आप किसी कार्य को कर रहें हो, और अचानक से कोई मनमाना चूहा आपके पैरों में काट ले,

बेशक आप अपनी सुरक्षा के लिए और भविष्य ने रेबीज़ ना हो इस लिए डॉक्टर के पास जायेंगे और इलाज सुनिश्चित कराएंगे।

क्या हो जब आप किसी ऐसे स्थान पर जाएं जहां अचानक से हजारों चूहे आपके सामने आ जाएं? 

बेशक आप डर के कारण उस जगह से रफ्फूचक्कर हो जाएंगे।

क्या हो जब कोई चूहा आपके खाने में मुंह मार दे? तो आप गड़पती बाप्पा मोरया कहकर उस खाने को बिल्कुल नहीं खाएंगे क्यूंकि रेबीज़ का डर आपको सताएगा।

लेकिन हम आपसे कहें की भारत में एक जगह ऐसी है जहां के चूहे आपको कभी काटेंगे नहीं। बल्कि आपको आशीर्वाद देंगे और आपको प्रसाद के रूप में मिलेगा चूहों का चखा हुआ प्रसाद? 

भारत अनोखे रहस्यों और रहस्यमई जगहों और कहानियों से तो भरा है ही, कुछ कहानियां वक्त के संदूक में कैद हो गई, और लोगों के द्वारा कही या बताई जाती है, वही कुछ कहानियों ने वर्तमान में भी वक्त का दामन थामे रखा है और इन जगहों इन रहस्यों को आम लोगों के बीच और आम लोगो को महसूस करने का मौका दिया है।

ऐसा ही एक रहस्यमई किस्सा, मन को विचलित कर देने में पूरी तरह सक्षम है जो आपका इंतज़ार कर रहा है,

ऊंची पहाड़ियों, रेगिस्तान, जंगल नदियां तो बहुत घूम ली लेकिन रहस्यों के साथ अभी आपका नाता नहीं जुड़ा होगा, तो आइए हम जोड़ते है आपका नाता इतिहास से वर्तमान में भी अपने जीते जागते रहश्य को सबके सामने प्रस्तुत करने वाले स्थान माता करणी देवी के मंदिर प्रांगण से।

अगर आपको लगता है चूहों से डर तो आपको इस जगह आके अपने डर को खत्म करना चाहिए, तो आपको आज लेके चलते है माता करणी के रहस्यमई मंदिर की तरफ। और जानेंगे यहां की सच्चाई हकीकत और फसानों के बीच की गहराई।

कहां स्थित है करणी माता मंदिर-  करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले से लगभग 30 किमी दूर देशनोक में स्थित है।

इसे चूहे वाला मंदिर भी कहा जाता है। नवरात्रि के समय यहां भीड़ ज्यादा रहती है। यहां आने मै आपको ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है यहां जाने के लिए आपको वहां आसानी से मिल जाते हैं।

कौन थी करणी माता-    मां करणी को जगदंबा माता का अवतार माना जाता है। कहा जाता है कि इनका जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था और इनका बचपन का नाम रिघुबाई या रिद्धा था.

करणी माता बीकानेर राजघराने की कुलदेवी भी हैं। इनका विवाह साठिका गांव के किपोजी चारण से हुआ था लेकिन सांसारिक जीवन में मन लगने के बाद उन्होंने किपोजी चारण की शादी अपनी छोटी बहन गुलाब से करवा दी थी. इसके बाद करणी माता खुद देवी दुर्गा की भक्ति और लोगों की सेवा में लीन हो गई थीं. कहते हैं कि वे 151 सालों तक जीवित रही थीं। 

मान्यता है कि रिद्धा ने बचपन में अपनी बुआ को स्पर्श कर के उनकी टेढ़ी अंगुली को ठीक कर दिया था। उस दिन बुआ ने रिद्धा को करणी नाम दिया।

करणी माता मंदिर राजस्थान का इतिहास-  आम जनों के अनुसार माता करणी के बहन का पुत्र था जो किसी सरोवर में डूब गया था, और जिसके बाद माता ने अपने तप से यमराज से अपने भाई के प्राण मांग लिए थे लेकिन किन्हीं कारणों के चलते यमराज जी माता के भाई को मनुष्य के रूप में पुनर्जिवित नहीं कर पाए थे और उनको एक चूहा बना कर जीवनदान दिया था, तभी से यहां चूहों के रूप में माता के सभी वंशज ही विचरण करते हैं।

हालांकि लोकगीतों में इन चूहों की एक अलग कहानी बताई जाती है। इस कहानी के अनुसार एक बार 20 हजार सैनिकों की एक टुकड़ी देशनोक पर हमला करने के लिए आई थी। माता को जब यह पता चला तो देशनोक की रक्षार्थ इन सभी को अपने प्रताप से उन्होंने चूहा बना दिया था।

बीकानेर के तत्कालीन महाराजा स्वर्गीय गंगा सिंह ने मंदिर का निर्माण करवाया था। करणी माता बीकानेर के पूर्व राजपरिवार की कुलदेवी हैं। मंदिर के मुख्य दरवाजे चांदी के हैं।

क्या है करणी माता मंदिर का रहस्य-  रहस्य यानी वो जगह या वस्तु जिसमे कुछ तो अलग ही कुछ तो ऐसा है जिसपर विश्वाश करना मुश्किल हो जाता है, जिसके किस्से कभी कभी डरावने तो कभी कभी सुकून देने वाले होते है, ऐसी चीजों को या जगहों को या व्यक्ति विशेष को रहस्यमई शक्तियों से भरा हुआ कहा जाता है। करणी माता मंदिर भी ऐसे ही एक अचंभित कर देने वाले रहस्य से जुड़ा हुआ है।

यह मंदिर संसार में ये एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां चूहों कि पूजा की जाती है, इस मंदिर छेत्र में 20,000 से भी ज्यादा चूहों का समूह है, जो इस मंदिर में घूमा करते है।

यहां प्रतिदन सुबह मंगला आरती और संध्या आरती के समय मंदिर में चूहों का जुलूस देखने लायक होता है। इस संबंध में मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि यहां साढ़े छह सौ साल से नियमित पूजा हो रही है। हर साल यहां देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। 

इस मंदिर छेत्र में चूहों से कभी किसी भी इंसान को हानि नहीं पहुंची है ना ही कभी किसी आम जन को कोई दिक्कत का सामना करना पड़ा है, ये चूहे कहां से आते है कहां से इनकी उत्पत्ति हुई इस स्थान पर ही क्यों है ये आज भी रहस्य ही बना हुआ है।

कहते है यहां बिल्ली कभी प्रवेश नहीं करती और यहां सफेद चूहा देखना बड़ा दुर्लभ होता है। बहुत भाग्यशाली लोगों को दिखने की ही संभावना होती है। और अगर सफेद चूहा दिख गया तो समझिए आपकी जिंदगी संवर गई।

क्यों पूजते है करनी माता मंदिर में चूहों को-  मान्यता और आस्था से बढ़कर कभी कुछ नहीं हुआ है। इसी मान्यता और इस मंदिर से जुड़ी असल कहानी के चलते इस मंदिर में चूहों को पूजा जाता है। कहा जाता है कि माता दुर्गा की अवतार थी माता करणी और ये चूहे माता करणी के ही वंशज है।

यहां के लोकल लोगों की माने तो ये चूहे प्रदान करते है सुख और समृद्धि और अगर यहां सफेद चूहा दिख जाए तो आपको मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

इस मंदिर मै चूहों को काबा कहते है। करणी माता के लिए हमेशा सोने का छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए चांदी की बड़ी परातों का उपयोग होता है। भक्तों द्वारा मंदिर में चढ़ाए जाने वाला प्रसाद परातों में रखा जाता है और चूहे आकर उस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। यहीं प्रसाद भक्तों में वितरित होता है। 

जिन चूहों से रेबीज़ होता है वहीं चूहे आपके जीवन को खुशहाल बना दे तो ये तो किसी परियों की कहानी से काम नहीं लगता है।

विज्ञान क्या कहता है इस विषय में –  सालों से यहां बड़े बड़े रिसर्चर्स, टेलीविजन वाले , न्यूज चैनल, पुरातत्व विभाग वाले, हिस्टरी एक्सपर्ट्स और तर्क शास्त्रियों ने अपना हाथ आजमाया है। की इस रहस्य से पर्दा उठाया जा सके, उसके बाद डिस्कवरी समेत कई बड़े साइंस चैनल्स ने यह जांच पड़ताल की है लेकिन उनके हाथ आई तो सिर्फ विवशता।

तर्क शास्त्रियों और विज्ञान की माने तो ऐसा इसलिए संभव है कि चूहों को पनपने में किसी विशेष वातावरण की जरूरत नहीं पड़ती है, और फिर वह कुछ हद तक मनुष्यों पर निर्भर होते है, और इस स्थान ने ठंडक है साथ ही यहां चूहों को अच्छे स्तर पर प्रसाद और अन्य खाने पीने की चीजे मिलती है, क्यूंकि ये एक देवी का स्थान है इसलिए साफ सफाई रहती है जिस कारण चूहों से किसी प्रकार की कोई बीमारी और गंध नहीं फैलती है।

चूहों को मार दिया तो क्या करना होता है प्रायश्चित- इस मंदिर में हजारों की तादात में रोजाना पूजे जाने वाले चूहें है जो माता के वंशज है भक्तों के पैरो के नीचे दब के किसी की मृत्यु ना हो जाए इसलिए इस मंदिर में पैर उठा कर कोई भी नहीं चल सकता। भक्तों को या तो जमीन पर सरक कर या तो पैर घिसल कर चलना होता है। यदि ऐसा न किया तो अनजाने ने चूहों के उपर आपका पैर पड़ सकता है और चूहे की मृत्यु हो सकती है, ऐसा करने पर यहां सोने का चूहा चढ़ाना होता है और देवी से माफी मांगनी पड़ती है। 

आपको आना कैसे है- राजस्थान में पहले तो आपको बीकानेर आना होगा और बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित देशनोक में आपको करणी माता मंदिर प्रांगण मिलेगा। बीकानेर से आपको तमाम गाडियां मिल जाएंगी।

यहां आने के लिए कोई विशेष कार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है, सिर्फ मन में सच्ची श्रद्धा और जिज्ञासा होना ही काफी है।

हां इक्षा हो तो प्रसाद के रूप में लड्डू या अन्य कोई मिठाई जरूर ला सकते है, प्रसाद के रूप में।

क्या क्या करना है करणी माता मंदिर में- मंदिर आने के बाद आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा, जैसे यहां आपको बैठ कर चलना होगा जिससे कोई चूहा आपके पैरों तले ना आए और ना ही उसकी मृत्यु हो, वरना सोने का चूहा चढ़ाना होता है।

चूहों को देख कर भयभीत ना हो बल्कि उनको प्रणाम कर अपने दर्शन जारी रखें।

चढ़ाने के लिए लड्डू या अन्य कोई पकवान लेकर जाएं। अत्यधिक दान देना है तो वहां के लोगों से संपर्क करें।

कोशिश करें कि आपके प्रसाद को अगर कोई चूहा या कबा चख लेता है तो उस प्रसाद का सेवन करें।

भारत अनोखे रहस्यों और रहस्यमई जगहों और कहानियों से तो भरा है ही, कुछ कहानियां वक्त के संदूक में कैद हो गई, और लोगों के द्वारा कही या बताई जाती है, वही कुछ कहानियों ने वर्तमान में भी वक्त का दामन थामे रखा है और इन जगहों इन रहस्यों को आम लोगों के बीच और आम लोगो को महसूस करने का मौका दिया है।

तो ये रहा वो रहस्यमई मंदिर जिसकी कहानी कभी ना कभी टीवी पर जरूर देखी या सुनी होगी। लेकिन सत्यता का अनुभव करने के लिए यहां आपको आना पड़ेगा और इस अद्भुद जगह को अपने जीवन के अमूल्य पलों में जोड़ना पड़ेगा।

धन्यवाद!