“कानपुर” क्या हुआ नाम लेते ही शरीर में कुछ हलचल हुई? होगी ही जिस नाम में ही भौकाल मिला हो, जहा चिकाई मिजाज मोज मस्ती वालों का बोल बाला हो, जिस शहर का नाम लेते ही होंठो में मुस्कान, दिमाग़ मे बकैती सूझने लगती हो ऐसा सतरंगी शहर है कानपुर।

तो आइए आपको परिचित करवाते हैं, एक ऐसे ऐतिहासिक शहर से जहां एक 10 साल के छोटे बच्चे से लेकर आखिरी दिनों को गिन रहे मरन सैयां पर लेटे एक बुजुर्ग तक का दिल आशिक मिजाजी से, मुंह गुटखे से, आंखे खुराफात से, और दिमाग मठैसी से भरा होता है,
खुराफाती मिजाज, मेहमान नमाज़ी और दिलदार लोगों से भरा ये शहर है कानपुर,
गोली कट्टा बात बात पर निकाल लेना और बात बात पर लोंडों को बुला लेंगे वाली धमकी देना तो यहां का पुराना रिवाज़ है।

कानपुर दो मिजाजों का संगम है जहां एक तरफ पुराने कानपुर के मिजाज है वहीं दूसरी तरफ़ नए कानपुर के रंग, दोनों ही मिजाज को समेटे इस शहर में जहां एक तरफ हुड़दंग, हल्लड़बाजी, है वहीं दूसरी तरफ इसका नरम सुर, मेहनत के किस्से और इसका स्वर्णिम इतिहास है।

सतयुग काल से लेकर अंग्रेज़ों के काल और वर्तमान काल सभी काल में कानपुर ने अपनी अलग छटा बिखेरी है, जो आपको यहां की हर जुबान में और इतिहास के पन्नों में देखने को मिलती है।

यकीन मानिए अगर जीवन में कानपुर नहीं आए तो क्या खाग कहीं गए, तो आइए आपको ले चलते है भौकाली कानपुर के सफ़र पर चौड़े से।

“बड़े रंगबाज हैं लोग जहाँ
शान किसी से कम नहीं,
यहाँ बोली में जितनी ताकत है
उतना बम कट्टे में दम नहीं”

कानपुर भुगोलिक दृश्य भूगोल

यह जिला पाण्डु व गंगा नदी के बीच में बसा हुआ है, कानपुर नगर उत्तर में कन्नौज व हरदोई, दक्षिण में फतेहपुर व हमीरपुर, पूर्व में उन्नाव व पश्चिम में कानपुर देहात से घिरा हुआ है. गंगा नदी कानपुर नगर को उन्नाव व पांडु नदी को कानपुर देहात से अलग करती है. जिले का भूभाग मैदानी व समतल है।
2011 की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या के मामले में कानपुर का उ.प्र. में छठवां स्थान है. जिले की कुल जनसंख्या 45,81,268 है। यहां की साक्षरता दर 79.7 प्रतिशत है।

प्रशासनिक आधार पर कानपुर नगर को 4 तहसीलों (कानपुर नगर, घाटमपुर, बिल्हौर व नरवल) व 10 विकास खंडों में विभाजित किया गया है. जिनके अंतर्गत कुल 1011 गांव हैं।

सूबे की राजनीतिक उठापटक में इस जिले का विशेष महत्व है, क्यों कि कानपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जो कि संख्या के लिहाज़ से प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों को बनाने व बिगाड़ने के लिए पर्याप्त हैं. जिले की मुख्य सीटों को आर्य नगर, बिठूर, बिल्हौर, घाटमपुर, गोविंदनगर, कल्याणपुर, कानपुर केंट, सीसामऊ, किदवई नगर, महाराजपुर में बांटा गया है।

कानपुर का इतिहास

कानपुर नगर प्रदेश की औद्योगिक विरासत के साथ ही ऐतिहासिक विरासत भी है. जिले का इतिहास काफी विस्तृत व साफ है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में भी मिलता है. रामायण काल अर्थात त्रेतायुग में कानपुर ‘कनकपुर’ नाम से प्रसिद्ध था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अपने पति भगवान श्रीराम के बाद सीता जी कानपुर के बिठूर स्थित वाल्मिकी आश्रम में ही निवास करती थीं तथा यहीं उन्होंने लव- कुश को जन्म दिया था. महाभारतकाल के योद्धा कर्ण के नाम पर इस शहर का नाम कर्णपुर भी पड़ा।

वहीं इस शहर की स्थापना के विषय में प्रमाण मिलते हैं कि इसकी नींव सचेन्दी राज्य के राजा हिन्दू सिंह ने रखी थी. उस समय शहर का नाम ‘कान्हपुर’ था. इसके बाद अवध के नवाबों के शासनकाल के अंतिम चरण में पुराना कानपुर, पटकापुर, कुरसवां, जुही तथा सीमामऊ गांवों को जोड़कर कानपुर के वर्तमान स्वरूप की स्थापना की गई.

कर्णपुर से कनकपुर से कान्हापुर से कान्ह पुर और धीमे धीमे कई नामी सीढ़ियों को चढ़ता हुआ ये शहर आखिर में हुआ कानपुर, कानपुर अंग्रेज़ों के समय में पहचान में आया जब यहां के खुले और सुंदर आवास ने अंग्रेज़ों का ध्यान खींचा और कानपुर में व्यापार को बढ़ावा दिया, तमाम मिलें तमाम फैक्टरीज का उदय किया और लाखों लोगों को रोजगार मुहैया किया, कानपुर में स्थित लाल इमली मिल उस जमाने की सबसे बड़ी और फेमस मिल बनी, जिस कारण अन्य कंपनीज़ ने अपने रंग बदले और कानपुर को लाकर खड़ा कर दिया बिजनेस हब की श्रेणी में, कानपुर का व्यापार पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाने लगा, मुख्यता चमड़ा उद्योग, वूलेन कारखाने, गाड़ी के पार्ट्स, खानपान की सामग्री, में इस शहर ने अपना वर्चस्व ऊंची कीली में टांग दिया। और जिस कारण इस शहर को मैनचेस्टर सिटी भी कहा जाने लगा, कुछ समय पश्चात यहां रेल मार्ग की, बस की सुविधाए शुरू हुईं और यहां ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण करवाया गया जो इस शहर को इलाहाबाद से जोड़ती थी। कानपुर का अधिकतम विकास अंग्रेज़ी के शासन काल में हुआ।

“कितने आए चले गए
बड़े बड़े तुर्रम ढेर हुए,
जुबां से भौकाल बनाए हैं
ऐसे कानपुर के शेर हुए”

कानपुर पर्यटन

कानपुर में पर्यटन का एक अलग इतिहास कहानी किस्सा है जो आपको अपनी ओर खींच लेने में सक्षम है। यहां का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है और वर्तमान बेहद स्वर्णिम है। कानपुर में हर एक गली हर एक मोहल्ला ही आपको एक अच्छा अनुभव देता है यहां के लोग आपको कभी ना भूलने वाला एक एहसास देते हैं, यहां की बोली भाषा आपको दीवाना बना देगी। और यहां के पर्यटन स्थल आपको एक शानदार अनुभव देंगे। जिनमे प्रमुख स्थानों के दर्शन हम आज आपको इस लेख के द्वारा कराएंगे।
कानपुर प्राणी उद्यान

नवाबगंज में स्थित कानपुर एलेन फॉरेस्ट ज़ू टूरिस्ट के बीच एक अनोखा अट्रैक्शन बना रहता है। यहां पर आपको विभिन्न प्रकार के जीव जिसे बब्बर शेर, तेंदुआ, ब्लैक पैंथर, चीताह, बाघ, सफ़ेद शेर, ज़ेब्रा, एशियाई भालू, गेंडा,दरियाई घोड़ा, हाथी, तमाम प्रकार के हिरण, 200 से भी ज्यादा ट्रॉपिकल बर्डस की प्रजातियां, देखने को मिलती हैं, इसके अलावा यहां सरीसृप ग्रह, रात्रिचर जीव विहार, और मछली घर देखने को मिलता है।

“समय बिताने जाते है
एलेन फॉरेस्ट के जू यहां पर,
नवाबगंज को मुढ़ जाना क्यूंकि
इतिहास की मिलेगी खुशबू यहां पर”


कछुआ तालाब

पनकी मंदिर के समीप ये एक बेहद पुराना तालाब है जहां एक मंदिर है, इस तालाब में कानपुर के लोग आते है कछुओं के साथ समय बिताने जी हां इस तालाब में कई प्रजाति के छोटे बड़े बहुत सारे कछुए रहते है, जिनको यहां के स्थानीय लोग ब्रेड और दाने खिलाते हैं, कहां जाता है कि यहां दाने खिलाने से समृद्धि बनी रहती हैं।

जेके मंदिर

जे के ग्रुप द्वारा निर्माणित जेके मंदिर राधा कृष्ण को समर्पित एक भव्य स्थल है जहां की रात्रि की ख़ूबसूरती देखने लायक होती है सफ़ेद पत्थर से बना ये मंदिर कानपुर का सबसे प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट में से एक है यहां आते ही आप ताज महल की चमक को नजरो से ओझल होते देखेंगे।

आनंददेश्वर मंदिर

परमत मंदिर से प्रसिद्ध भगवान शिव को समर्पित परमट मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है, कहा जाता है और ऐसी सच मान्यताएं भी हैं कि परमट में दर्शन अगर सच्चे मन से किया जाए तो माना हुआ हर काम पूरा होता है। यहां की गंगा आरती और शिवरात्रि देखने दूर दूर से श्रद्धालु आते है, यहां शिवलिंग खुद उत्पन्न हुए थे।

“परमट में आते है सब शिव भक्ति करने
गंगा का ये उत्तम किनारा है,
ये कानपुर के लोग है भैया
इनको पनकी परमट का सहारा है”

पनकी हनुमान मंदिर

पनकी मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है, माना जाता है एक प्रसिद्ध व्यक्ति भगवान की प्रतिमा को अपने गांव में में लेके जा रहे थे ताकि वहां इस प्रतिमा को लगाकर एक मंदिर बनाया जाय वो भगवान हनुमान के परम भक्त थे, लेकिन जब वो पनकी पहुंचे तो उनकी हाथ गाड़ी इतनी भारी हो गई कि उनको रात उसी स्थान पर बितानी पड़ी और रात में उनको बजरंगबली जी ने खुद दर्शन देकर बोला कि ये उत्तम स्थान है प्रतिमा स्थापन का मुझको यहीं स्थापित कराओ। तब से ये मंदिर का निर्माण हुआ इस मंदिर से खाश लगाव है कानपुर के लोगों का।

लाल इमली

“लाल इमली” कानपुर में स्थित है जिसका निर्माण ब्रिटिश इंडिया कॉर्पोरेशन के आधीन हुआ था,
लाल इमली में अमूमन आर्म्ड फोर्सेज के लिए वूलेन क्लोथ्स वगैरह बनते थे बाद में इसकी सप्लाई पूरी दुनिया में होने लगी, उसके बाद यहां का वूलेन काफी प्रसिद्ध हुआ जो कड़ाके की ठंड में भी पसीना छुड़ा देती था,
शुरुआत में इस मिल से जुड़े रोजगार की बात करें तो ये मिल लगभग 10000 लोगों के घरों को पालती थी,
फिलहाल वक्त की नज़र लगी इस मिल मे सिर्फ कुछ गिने चुने अधिकारी ही बचे है जो इसका संरक्षण करते हैं,
फिलहाल तो ये मिल राजनीति का एक मुद्दा बन कर रह गई है, जिसका सुधार नहीं हुआ तो ये विशाल इमारत भी एक मॉन्यूमेंट् बन कर रह जाएगी!

“लाल इमली से गुजरते है
खुद में करने फक्र यहां,
एक आद बार होता ही है
अंग्रेज़ों का ज़िक्र यहां”

बिठूर घाट

अंग्रेज़ों के जमाने में बनाया गया बिठूर घाट तमाम प्राचीन मंदिर आपको मिलेंगे जहां पर माथा टेक कर प्राचीन काल की कला आनंद उठा सकते है और अपनी ट्रैवल लिस्ट में इस जगह को शुमार कर सकते हैं।

नानाराव पेशवा पार्क

नानाराव पेशवा पार्क कानपुर का शूटिंग स्पॉट कहलाता है, यहां तमाम फिल्मों, एलबम्स इत्यादि की शूटिंग अक्सर होती रहती है, अपने हरे भरे सौन्दर्य और अंग्रेज़ी इमारत होने के साथ साथ यहां पर एक म्यूज़ियम भी है जहां आपको कानपुर का पूरा इतिहास साक्ष्य के रूप में मिलता है।

बिठूर साईं मंदिर

साईं मंदिर बिठूर को मिनी शिरडी भी कहते हैं, इस स्थान में मनोकामना लेकर हजारों श्रद्धालु रोज आते है। यहां की आरती देखने लायक होती है साथ ही यहां का नजारा और आस पास फैला जंगल छेत्र आपका ध्यान खींचने में अव्वल है।

“लंबी ड्राइव की बात करो
तो सब बिठूर घाट चल देते है,
घर पर बताते साईं दरबार चले
इसी बहाने साईं दर्शन कर लेते है”


इस्कॉन मंदिर

अंग्रेज़ों के मंदिर इस्कॉन के बारे में तो आप सभी ने सुना होगा ही, ऐसा ही एक हमारे पास है जो बेहद खूबसूरत कलाकृति का अनोखा नमूना है, ये मंदिर में जन्माष्टमी का अलग ही मजा होता है इसके साथ ही यहां पर होने वाला कार्यक्रम तथा रोज़ होने वाले नृत्य से आपका रोम रोम मुस्कुरा उठेगा।

वाल्मीकि आश्रम

प्रमाण है की प्रभु राम और सीता जी के बिछड़ने के बाद माता सीता ने बिठूर में स्थित इसी आश्रम में आश्रय लिया था, और यही जन्म हुआ था लव कुश का।

गंगा बैराज

गंगा बैराज कानपुर का वो स्थान है जहां प्रेमी जोड़े सबसे पहले भागते है, जी हां सही समझ रहें है आप गंगा बैराज एक बेहद लंबा ब्रिज है जिसके ऊपर से नजारे आंखो को ठंडक पहुंचाने को पर्याप्त है, यहां अक्सर लोग फोटोग्राफी करने आते हैं, तथा यहां स्थित मैगी बाजार में मैगी का आंनद लेकर दिन को खुशहाल बनाते है लोग।

“आए हो भाभी संग तो
बैराज निकल जाना,
लव बर्डस की फोटोज में
थोडा आप भी फिसल जाना”


सरसैया घाट

अगर सच मे सुकून चाहिए आप थक चुके है तो कानपुर में सरसैया घाट आपके लिए सबसे बेहतर स्थान है चिल्ल मारने के लिए, यहां पर घाटों की टोली आपको दीवाना बना देगी तथा बोटिंग करके आप गंगा की सैर भी कर सकते है।

तपेश्वरी माता मंदिर

इस स्थान पर प्रभु राम के दोनों बालकों लव और कुश का मुंडन हुआ था, इसके अलावा यहां पर स्थित है एक प्रतिमा भैरव नाथ की जो खुद से चिलम पीते हैं।

काली मठिया

शास्त्री नगर में स्थित काली मठिया मंदिर माता काली को समर्पित है यहां अक्सर कान छेदन, और नाक छेदन के लिए स्त्रियां आती हैं, माना जाता है यहां पर दर्शन करके स्त्रियां अपने ग्रहस्त जीवन की मनोकामना पूरी करती हैं।

जाजमऊ मस्जिद

जाजमऊ मस्जिद जाजमऊ में स्थित है जो कि रामादेवी से पहले पड़ती है ये एक ऐतिहासिक मस्जिद है जहां हर बिरादरी के लोग मन्नत मांगने जाते हैं। यहां आस पास का नज़ारा बेहद खूबसूरत है।

मोतीझील

मोती झील कई झीलों का एक संगम है जिसमे आप बोटिंग कर सकते है इसके साथ ही मोतीझील के फाऊंटेन पार्क में आप रात में लाइट्स फाउंटेन आदि का एक कभी न भुलाने वाला अनुभव कर सकते है मोतीझील को कानपुर का लव प्वाइंट भी कहते है।

“मोतीझील में जाते है
बनकर प्रेमी जोड़े लोग,
पोलीस लगी जहां दिखी
तो फौरन गाड़ी मोड़ें लोग”


जेड स्क्वेयर

जेड स्क्वेयर एशियन मॉल्स के सबसे बड़े मॉल्स के अंदर अपनी जगह बनाता हुए कानपुर की शान बनकर खड़ा हुआ है सीना ताने, यहां लोग पिकनिक पर, डेट पर ज्यादा आते है शॉपिंग करने कम।

रेव थ्री

रेव थ्री कानपुर का सबसे पुराना सिनेमा तो है ही साथ ही ओल्डेस्ट एंड फर्स्ट बिग माल्स भी है।

ब्लू वर्ल्ड थीम पार्क

ब्लू वर्ल्ड थीम पार्क आपको रोमांच के उस लेवल पर लेके जाता है जहां आपको डिजनीलैंड जाने की ख्वाइश को दबाना पड़ता है और आप कहते हो बस यही तो जन्नत है, जी हां कानपुर का ब्लू वर्ल्ड थीम पार्क इंडिया के सबसे फेमस थीम पार्क में अपना नाम शुमार कर चुका है और यहां पूरे भारत से सेनानी मस्ती करने और राइड्स का मजा लेने आते है।

जंगल वाटर पार्क

जंगल वाटर पार्क कानपुर का सबसे पुराना वाटर पार्क है जो चारो तरफ़ से हरियाली से घिरा हुआ है और यहां पर समय बिताना एक अद्भुद रोमांच का अनुभव कराता है।

कानपुर बाजार

कानपुर भारत की औधोगिक नगरी कहलाता है साथ ही उत्तर प्रदेश की औधोगिक राजधानी।
कानपुर में बड़े बड़े हॉस्पिटल्स से लेकर विश्व विख्यात कॉलेजेज है, इसके साथ ही कानपुर में हर एक बड़ा विभाग एवं उसका आलीशान ऑफिस तो है ही जिसके साथ यहां लगभग हर अनुसंधान केंद्र मौजूद है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कानपुर ने खुद को औधोगिक टायकून के रूप में टिका रखा है, यहां बड़े आउटलेट्स से लेकर बड़े ब्रांड्स आपको हर तरफ मिल जाएंगे यहां पर औधोगिक हब भी है जहां लगभग हर फैक्टरी, आउटलेट्स व कंपनीज़ आपको मिल जाएंगी, जैसे रोटोमैक, पार्ले जी, विमल, कैन्नरी लंदन, पेंटालून, सैलो, हल्दीराम, इत्यादि। यहां पर रनिया, भौंती, कल्याणपुर, दादा नगर, पनकी आदि मुख्य केंद्र है उद्योग के। और यहां की कुछ विख्यात छेत्री, राष्ट्रीय, अंतरास्ट्रीय मार्केट्स है जिनका वर्णन करना आवश्यक है क्योंकि कानपुर पढ़ रहे है और मार्केट्स ना जाने तो क्या खाग कानपुर पढ़ रहें हैं आइए आपको बताते है कानपुर के प्रसिद्ध मार्केट्स जहां आप जी भर कर शॉपिंग करने जा सकते है।

परेड

परेड को कानपुर की चीप मार्केट कहते है, यहां पर आपको सबसे ज्यादा सस्ते कपड़े, चमड़े की वस्तुएं मिलती है, इस मार्केट की एक टाइमिंग है और यहां पर लगने वाली भीड़ से बचने के लिए लोग बड़ी मार्केट्स की ओर भागते है, यहां आपको ब्रांडेड वस्तुएं नहीं मिलेंगी लेकिन रोजमर्रा इस्तेमाल करने वाले कपड़े, चादर, चश्मे, जूते, टोपी, बेल्ट, यूनिफॉर्म, किताबें इत्यादि उचित मूल्यों पर मिल जाती है, विश्वास मानिए ये मार्केट आपकी सोच से भी ज्यादा सस्ती है।

पी रोड मार्केट

पी रोड को कानपुर का मार्केट मार्केट हब बोला जाता है यहां आपको कानपुर के बड़े बड़े लॉग शॉपिंग करते दिख जाएंगे तथा खाने पीने की वस्तुओं का ताता मिल जाएगा, जिनको महंगी शॉपिंग का सौक हो, ब्रांड्स की आदत हो वो यहां शॉपिंग कर सकते हैं। यह मार्केट कानपुर की सबसे फेमस मार्केट है और एक मिश्रित बाजार भी है।

हठिया बाजार

हठिया बाजार कानपुर की बेहद पुरानी बाजार है, सकरी गलियों में लगने वाली ये बाजार मुख्यतया बर्तन, साज सजावट के समान आदि की थोक बाजार है। जहां पूरे हिन्दुस्तान से व्यापारी आवागमन करते रहते है।

लाटूश रोड मार्केट

लाटूश रोड कानपुर की सबसे पुरानी मशीन एवं उपकरण की थोक मंडी है, जहां हर प्रकार की मशीन व मशीनी उपकरण लेने हर छोटे बड़े गांवों शहरों कस्बों से लोग आते है और कम दाम में मशीनें खरीद कर सुगमता से व्यापार की नीव रखते है, लाटूश रोड पूरे साल आवागमन का केंद्र बनी रहती है और यहां की मुख्य मार्केट्स को जोड़ने वाली रोड भी है।


बास मंडी मार्केट

नाम से ही जाहिर है बांस मंडी मार्केट में आपको बांस से जुड़े समान मिलते है और यहां आपको मेज़ कुर्सी व लकड़ी से बने समान इत्यादि भी उपलब्ध होते है।
मेस्टन रोड मार्केट

मेस्टन रोड कानपुर की सबसे व्यस्त मार्केट है यहां आपको छोटी छोटी गलियों में हर एक गली में एक विशिष्ट बाजार मिलती है जहां पर एक ही तरह की वस्तुएं मिलती हैं, हर एक गली में एक विशिष्ट बाजार है यहां पर।
राम नारायण बाजार

राम नारायण बाजार को कानपुर या उत्तर प्रदेश की म्यूजिक मार्केट भी कहते हैं, यहां पर आपको क्लासिक से लेकर इंडियन, वेस्टर्न, अंग्रेज़ी हर तरह के म्यूजिक तंत्र, वाद्ययंत्र एवम उनसे संबंधी उपकरण विशिष्ट तौर पर मिलते है। अर्थात ये वाद्ययंत्रों को विशिष्ट मार्केट है जहां उचित दामों में आपको बेहतरीन संगीत वादक यंत्र मिल जाएंगे यहां पूरे प्रदेश से लोग आते हैं, साथ ही इस मार्केट की गूंज पूरे भारत मे गूंजती है, इसको आप नेशनल मार्केट भी कह सकते है।

मनीराम बगिया

मनीराम बगिया को इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट के नाम से जाना जाता है, यह मार्केट मेस्टन रोड के अंतर्गत ही आ जाती है, इस मार्केट में आपको इलेक्ट्रॉनिक्स संबंधी सभी वस्तुएं उचित मूल्यों में मिल जाती है ऐसा कोई सामान नहीं बिजली से संबंधी जो आपको यह ना मिले या उसमें सुधार ना हो सके। ये इलेक्ट्रॉनिक की विशिष्ट थोक बाजार है।


जाजमऊ बाजार

जाजमऊ बाजार कानपुर हाईवे के समीप है, और जाजमऊ छेत्र में आती है यह यहां की सबसे प्रमुख और सबसे पुरानी चमड़ा उद्योग की बाजार है, यहां आपको सस्ते मद्दे जूतों से लेकर बेल्ट, जैकेट, जींस, वॉलेट इत्यादि बेहद सस्ते दामों पर मिलेंगी, यहां आइएगा तो खरीददारी अवश्य कर लेना, यह विशिष्ट मार्केट है चमड़े से बनी वस्तुओं की।

शिवालय मार्केट

शिवालय मार्केट मुख्यता, स्त्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र है, यहां स्त्रियों से संबंधी वस्तुओं का भंडारा होता है, यहां ग्रोसरी, मेकअप, तथा कपड़े मुख्यतया मिलते है यहां पर आपको प्लास्टिक के आभूषणों की बेहतरीन दुकानें मिलती हैं, इसके अलावा साड़ियों के लिए भी ये मार्केट काफी चर्चित है।
बेकनगंज मार्केट

बेकनगंज मार्केट मुख्यतया कपड़ो की विशिष्ट बाजार है, यहां पर आपको कानपुर की पुरानी संस्कृति व विरासत की झलक मिलेगी। यहां पर आपको मुख्यतया वूलेन क्लोथ्स मिलते है, जिसे यहां से खरीदकर छोटे दुकानदार अपने अपने छेत्र में बेचते है।

गोविन्द नगर मार्केट

गोविन्द नगर मार्केट एक मिश्रित बाजार है यहां पर आपको कई बड़े शोरूम व आउटलेट्स मिल जाएंगे, मूल्यों के हिसाब से थोड़ी महंगी है ये बाजार मगर यहां पर आपको विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का संगम मिल जाएगा, इस बाजार की खासियत है कि प्रत्येक मंगलवार यहां मंगल मार्केट लगती है जिसमे आपको हर प्रकार की वस्तुओं बेहद सस्ते दामों में मिलती हैं, ये बाजार छोटे व स्ट्रीट व्यापारियों को मंगलवार को अपनी मार्केट लगाने की अनुमति देता है और सारे बड़े आउटलेट्स बंद रहते है जो बात इस मार्केट को खाश बनाती है।

बिरहाना रोड

मालरोड को कानपुर का ग्लैमर मार्केट भी कहते है। दीवाली होली के समय ये मार्केट की छटा देखने बनती है, अमूमन, इलेक्ट्रॉनिक, कैमरा, एवम बड़े बड़े आभूषण केंद्रों के लिए इस मार्केट को जाना जाता है, ये एक मिश्रित बाजार है जहां जहां हर तरह की वस्तुओं का उच्च ब्रांड आपको मिलता है।

“चमनगंज में घुसते ही
सन 70 का भाईचारा मिलेगा,
मालरोड में आते ही
लंदन का नजारा मिलेगा”


गुमटी मार्केट

गुमटी मार्केट भी एक बेहद लोकप्रिय मिश्रित मार्केट है इसे दिल्ली बाजार भी कहते है क्योंकि इस मार्केट के आसपास पंजाबी सिख समुदाय के लोग रहते है और यहां आपको दिल्ली में होने का एहसास होता है।
सर्राफा बाजार

सर्राफा बाजार से तो आप मतलब समझ गए होंगे, लेकिन यहां का सर्राफा बाजार पुराने कानपुर में आता है जहां घूमने से आपका सारा तनाव कहीं खो जाएगा। ये एक जेम्स की मार्केट है जहां, अंगूठियां, रत्न इत्यादि आपको उचित मूल्यों में मिलता है इसके साथ ही यहां अघोरियों के तथा सपेरों के सामान भी मिलते है, यहां मुख्यता वृद्धि यंत्र व मोतियों की मार्केट है। अर्थात ये एक आभूषण व रत्नों की मिश्रित बाजार है।

सागर मार्केट

सागर मार्केट कानपुर का प्रमुख मोबाइल मार्केट है यहां पर मोबाइल की रिपेयरिंग होती है, और साथ ही यहां पर हर ब्रांड्स के फोन तथा, उनके चीप पार्ट्स मिलते है, सस्ते में अच्छा पाने के लिए पूरा कानपुर यहां उमड़ता है।


नवीन मार्केट

नवीन मार्केट को वीआईपी मार्केट भी कहते है, यहां आपको आकर ऐसा लगेगा कि लंदन की गलियों में शॉपिंग कर रहे है, चकाचौंध से भरी ये मार्केट आपको एक अनोखा एहसास देती है, यहां स्ट्रीट मार्केट, रहमानी मार्केट, भी है, जहां आपको हर तरह का सामान उपलब्ध होता है।

जलवायु व मौसम

कानपुर की जलवायु सामान्य रहती है, गर्मियों में ये शहर थोड़ा धीमा हो जाता है क्योंकि यहां तापमान कुछ अन्य शहरों के मुकाबले अधिक होता है, सर्दियों में ये शहर सामान्य ठंडा रहता है, बारिश के सीजन में ये शहर खिल उठता है और वर्षा के समय यहां पर्यटन भी जोरों पर रहता है।

व्यंजन, पारंपरिक भोजन और स्वाद

कानपुर की इमरती, शामी कबाब, बिरियानी, कचौड़ियां और समोसे यहां प्रसिद्ध है।

कानपुर में चाय का एक अलग ही नशा है यहां, बनारसी चाय, अक्षत टी स्टॉल मालरोड, गुलाब टी स्टॉल पी रोड, शंकर टी स्टॉल बाकरगंज, बदनाम चाय, भोला चाय नौबस्ता और जगदीश चाय, गौशाला यहां की प्रमुख टी स्टॉल है जहां पूरा कानपुर और युवा वर्ग खासतौर पर उमड़ता है।

ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं, के जानदार स्लोगन के साथ ठग्गू के लड्डू कानपुर की मिठास में चार चांद बने हुए रहते है। बदनाम कुल्फी हो या मोहन कचौड़ी है या जाफ्रान का स्वाद हो या फिर लैंडमार्क का स्वादिष्ट व्यंजन हो, स्ट्रीट फूड से लेकर बड़े बड़े आउटलेट्स आपको यहां हर तरफ मिल जाते हैं।

नाश्ते के लिए घंटाघर चैराहे पर घंटाघर टाॅवर के नीचे ही कई मशहूर दुकानें मिल जाएंगी। यहां पर हर दिन नाश्ते का बेहतीन इंतजाम रहता है। यहां खासकर आसपास की दुकानों या आफिसों में काम करने वाले कर्मचारी पहुंचते हैं। कम कीमतों में लजीज नाश्ते का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा यहां की लस्सी भी काफी मशहूर है। इसका लुत्फ भी ले सकते हैं। कुछ और खाने का मन हो तो पास में ही शाकाहारी होटल मौजूद हैं। ठेले पर छोटे भूटरे वगैरह भी यहां पर आसानी से मिल जाते हैं। ज्यादा इधर उधर भागने की जरूरत नहीं पड़ती। दिनभर लोगों का आना जाना बना रहता है। इसलिए यह जगह लंच और डिनर के अलावा नाश्ते के लिए भी मशहूर है।

इनके अलावा आपको लगभग हर चैराहे पर खाने पीने की चीजों के ठेले लगे मिल जाएंगे। जहां आप सस्ते में पेट पूजा कर सकते हैं। जीटी रोड पर पड़ने वाले अफीम कोठी चैराहे के पास ढलउवा पुल की तरफ जाने वाले मार्ग पर सुबह पहुंचते हैं तो मशहूर जलेबी और दही खाने का आनंद ले सकते हैं। यहां पर सुबह बड़ी भीड़ रहती है। दूर दूर से लोग यहां पर जलेबी और दही खाने के लिए पहुंचते हैं। लोग अपने साथ जलेबी और दही घर भी ले जाते हैं। बचपन में जब हम स्कूल जाया करते थे, तो इस जगह पर रुककर जलेबी दही का आनंद जरूर लिया करते थे। आज भी वहां पर ऐसा ही है। सुबह टहलने वाले और खाने शौकीनों की भीड़ यहां पर हमेशा बनी रहती है।

पानी के बताशे के लिए आपको बिरहाना रोड या शिवाला जाना चाहिए। यहां पर सबसे बेहतरीन किस्म के बताशे पानी आपको मिल जाएंगे। अक्सर यहां पर महिलाओं की भी भीड़ रहती है। इसलिए शहर के बेहतरीन पानी बताशे वाले यहीं पर अपनी दुकान लगाते हैं। यहां पर ग्राहकों के रूप में आने वालों में ज्यादातर महिलाएं होती हैं। इसलिए यहां पर पानी के बताशे और चाट की बेहतरीन व्यवस्था हमेशा रहती है।

कानुपर में अमीर गरीब सभी को अपनी जेब के अनुसार खाने के अवसर मिलते हैं। चाहे आप बड़े बिजनेस मैन हो या फिर रिक्शा चलाने वाले। सभी के लिए यहां पर अपने हिसाब से भोजन उपलब्ध रहते हैं। खाने के मामले में भी ऐसा ही है। बड़े बड़े रेस्टोरेंट भी मौजूद हैं और रोड के किनारे लगे ठेले और दुकानें भी हैं। जहां अपनी अपनी सुविधा के अनुसार हम अपने मनपसंद व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं। तो भईया कानपुर आना तो फुल मजे लेना यहां के ठाठ व्यंजनों का।

“खाने का नाम लेते ही
नाम ठग्गू का ललचाता है
और भूख लगे आधी रात को भी
तो घंटाघर काम आ जाता है”
कानपुर की प्रमुख हस्तियां

कानपुर का योगदान, खेल, कुश्ती, राजनीति, बिजनेस, कलाकारी, टायकून्स, जादूगरी, गायिकी, संस्कृति, आंदोलनों, शिक्षा, नृत्य, अदाकारी, ब्रांड्स, कंपनीज़, इतिहास, हर छेत्र में रहा है और अव्वल रहा है। कानपुर से निकली हस्तियों का कर्जदार हर छेत्र रहेगा, हर वर्ग रहेगा पूरा भारत रहेगा क्यूंकि यहां युगों युगों से बहुत से सितारे, हस्तियां का नाता रहा है, बहुतों की शुरुआत है कानपुर, बहुतों का साथ है कानपुर, बहुतों की जन्मस्थली है कानपुर बहुतों की कार्य स्थली है कानपुर। कानपुर से निकलने वाले सितारों में, हस्तियों में, राजनीति में बहुत से लोगों का योगदान रहा है और ये योगदान पूरी दुनिया को अपने किस्से सुनाने में हमेशा सफल रहा है, जिनमे अल्ताफ राजा, आदिल हुसैन, अंकित तिवारी गायक, अभिजीत भट्टाचार्य, हार्ड कौर जैसे गायक यहां से निकले।

कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव, पूनम पांडे, पूनम ढिल्लन, राजा राम पाल, कृतिका सेंगर, वीना सहस्त्रबुद्धे, लक्ष्मी सहगल, गौरव खन्ना, सुनील जोगी, अश्विनी धीर, आदि का टीवी एवं फ़िल्म इंडस्ट्री में बेहद बड़ा योगदान है।

कुलदीप यादव क्रिकेटर, मोहम्मद कैफ़, अमित मिश्रा जैसे क्रिकेटर दिए कानपुर की भूमि ने।

“और ग्लैमर की दुनिया में
कितने कानपुर के सितारे है,
साहित्य जगत और संस्कृति में
ना जानें कितने पदक हमारे है”

राम नाथ कोविंद, अटल बिहारी वाजपेई, अजय कपूर, राजीव शुक्ला, श्री प्रकाश जायसवाल, हरीश चंद्र, शाजिया इल्मी जैसी राजनीतिक हस्तियां दी कानपुर ने।
“राजनीति में भारत की
ना जाने कितने झंडे गाड़े हैं,
ना जाने कितने अनुसंधान और
कितने कॉलेज हमारे हैं”

इसके आलावा, दैविक व अन्य इतिहास खंगाले तो, महर्षि वाल्मीकि, लव कुश, बाजीराव पेशवा द्वितीय, हार्डकोर्ट बटलर, गणेश शंकर विद्यार्थी, वीरेंद्र स्वरुप, अटल बिहारी वाजपेई जैसे योद्धा, महापुरुष दिए कानपुर ने।

अंत में यह है हमाओ कानपुर

जहां हर घर में एक नेता पैदा होता है, जहां 80 साल में भी दिल में लौंडपन लिए हुए बूढ़े भी पाए जाते है, और मुंह में गुटखा भर कर पिच पिच पिचकारी मार के हर तरफ दुनिया का नक्शा बनाने का टैलेंट भी यहीं के लौंडो में पाया जाता है,
चमड़े का व्यापार तो पूरे विश्व में विख्यात है ही, साथ ही यहां के सस्ते समान का बोलबाला पूरे भारत मे है। इसलिए कहते है कोई दिक्कत नहीं है फुल्ल चौरियाना है और हम बताए दे रहें है आपको एक बार कानपुर जरूर आना है।

तो जब भी कानपुर आयें दो दिन का समय लेकर आईये और यहां का धीमे धीमे मजा लीजिए फिर देखिए कैसे आपकी रगों में बस जाएगा कानपुर और आप कहेंगे, बड़े रंगबाज है लोग यहां शान किसी से कम नहीं है यहां के लोगों की।

“यहां दें को दिहिस कहते हैं
और यहां लें को लिहिस कहते हैं,
यहां को ईह लंघ वहां को ऊई लंग
बाल खींचते नहीं आइंचते है,
यहां उम्र का तजुर्बा लिए
कई बूढ़ों की कहानी है,
यहां जवान तो गुम है मस्ती में
लेकिन बूढ़ों की अलग जवानी है”

धन्यवाद।