“जब भक्ति का प्रसाद पाएंगे, जब भगवान बुलाएंगे , उठाकर झोला अनजान राहों से , तभी हम चार धाम जाएंगे।”
संस्कृतियों और परंपराओं की भूमि भारत हमेशा से अपने स्पिरिचुअल महत्व के लिए जाना जाता रहा है। चार धाम यात्रा एक पवित्र तीर्थ है जिसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस यात्रा को करने से तीर्थयात्री की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस ब्लॉग में, हम चार धाम यात्रा के इतिहास, महत्व और यात्रा कार्यक्रम के बारे में गहराई से जानेंगे।
इतिहास और महत्व
चार धाम यात्रा एक तीर्थयात्रा है जिसमें उत्तराखंड में स्थित चार पवित्र तीर्थ – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल हैं। इन तीर्थस्थलों को हिंदू देवताओं का निवास माना जाता है। भारत भर के भक्तों द्वारा इनकी पूजा की जाती है। इस तीर्थयात्रा का इतिहास 8वीं शताब्दी में देखा जा सकता है जब प्रसिद्ध हिंदू दार्शनिक आदि ने इस यात्रा को शुरू करके हिंदू धर्म को पुनर्जीवित किया।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि चार धाम यात्रा मोक्ष या जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने का एक तरीका है। प्रत्येक तीर्थ एक अलग हिंदू देवता से जुड़ा हुआ है, और यह माना जाता है कि इन तीर्थस्थलों पर जाने और प्रार्थना करने से आशीर्वाद पूर्ति होती है।
करलो करलो चारो धाम,
मिलेंगे भगवान,
जीवन सफल उसी का समझो,
जिसने किया ये धाम।
चार धाम यात्रा आमतौर पर अप्रैल-मई के महीने में शुरू होती है और नवंबर में समाप्त होती है। यात्रा सबसे पश्चिमी मंदिर, यमुनोत्री से शुरू होती है, और फिर गंगोत्री, केदारनाथ की ओर बढ़ती है। और अंत में बद्रीनाथ में समाप्त होती है।
1. यमुनोत्री-
पावन श्रीयमुना जल शीतल अगम बहै धारा,
जो जन शरण से कर दिया निस्तारा |
जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे,
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे |
यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यह समुद्र तल से 3,293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और देवी यमुना को समर्पित है। यह मंदिर यमुना नदी के तट पर स्थित है और बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ है। यमुनोत्री का मुख्य आकर्षण यमुना कुंड नामक गर्म पानी का झरना है, जहाँ तीर्थयात्री अपनी प्रार्थना करने से पहले डुबकी लगाते हैं।
2. गंगोत्री-
चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।
चार धाम यात्रा का अगला पड़ाव गंगोत्री है, जो समुद्र तल से 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह देवी गंगा को समर्पित है और भागीरथी नदी के तट पर स्थित है। गंगोत्री का मुख्य आकर्षण गंगोत्री ग्लेशियर है, जो गंगा नदी का शुरू होने का स्थल है। तीर्थयात्री गंगोत्री मंदिर में प्रार्थना करते हैं और नदी के बर्फीले पानी में डुबकी लगाते हैं।
3. केदारनाथ
सत्य, सनातन, सुन्दर शिव! सबके स्वामी।
अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी।।
आदि, अनंत, अनामय, अकल कलाधारी।
अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी।।
केदारनाथ समुद्र तल से 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर गढ़वाल हिमालय के बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच स्थित है और हिंदू धर्म के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। केदारनाथ का मुख्य आकर्षण केदारनाथ मंदिर है, जो एक अनूठी स्थापत्य शैली में बना है और माना जाता है कि यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
4. बद्रीनाथ
पवन मंद सुगंध शीतल,
हेम मन्दिर शोभितम्।
निकट गंगा बहत निर्मल,
श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्॥
चार धाम यात्रा का अंतिम पड़ाव बद्रीनाथ है, जो समुद्र तल से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। बद्रीनाथ का मुख्य आकर्षण बद्रीनाथ मंदिर है, जो हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। तीर्थयात्री मंदिर में प्रार्थना करते हैं और गर्म पानी के झरने तप्त कुंड में डुबकी लगाते हैं।
चार धाम यात्रा हर हिंदू के लिए एक जरूरी तीर्थ यात्रा है और यह जीवन भर का अनुभव है। यदि आप इस यात्रा को शुरू करने की योजना बना रहे हैं, तो अपने यात्रा कार्यक्रम की योजना पहले से ही बना ले।
साथ ही शहरयार की टीम आपके लिए भारतीय गवर्नमेंट द्वारा चार धाम के लिए जारी किये गए कुछ प्रमुख गाइडलाइन्स का सार आपके लिए लायी है।
चार धाम यात्रा 2023: इन लोगों से की यात्रा न करने की अपील
22 अप्रैल 2023 से चार धाम यात्रा शुरू हो चुकी है। यात्रा से पहले उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य विभाग ने हेल्थ एडवाइजरी जारी की है।
स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने चार धाम यात्रा पर जाने वाले लोगों की सुरक्षा को देखते हुए यह कदम उठाया है। क्यूंकि यात्रा के सभी जगह ऊँचे हिमालय क्षेत्र में बसे हैं । समुद्र तल से अधिक ऊंचाई पर हैं, तो हो सकता यात्रियों को कम ऑक्सीजन लेवल , अत्यधिक ठण्ड आदि चीज़ों का सामना करना पड़ सकता है।
इन सभी वार्निंग के अलावा सरकार का ये भी कहना है की यात्रा के पहले खुद की स्वास्थ जांच कराए। उनको सलाह दी जाती है कि वे पर्याप्त मात्रा में निर्धारित दवाएं और अप डॉक्टरों के कांटेक्ट नंबर साथ रखें। साथ ही, सभी लोगों और वरिष्ठ नागरिकों, जो पहले से बीमार हैं, या जो COVID-19 से पीड़ित थे, उनको सरकार द्वारा तीर्थयात्रा पोस्टपोन या इसे बिल्कुल नहीं करने के लिए कहा गया है।
चारधाम यात्रा 2023: रजिस्ट्रेशन
यात्रा पर जाने के इच्छुक सभी नागरिकों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। आइए जानते हैं क्या है रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया। उत्तराखंड निवासियों को स्मार्ट सिटी पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता नहीं है। वे बिना किसी तरह के ई-पास या रजिस्ट्रेशन के यात्रा कर सकते हैं। चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन केवल उत्तराखंड के बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक होगा।
चार धाम यात्रा पर जाने के लिए उत्तराखंड के पर्यटन विभाग की ऑफिसियल वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
चार धाम यात्रा 2023 की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
1- वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर जाएं और चारधाम यात्रा 2023 ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन/लॉगिन बटन पर क्लिक करें।
2- अपना विवरण सही ढंग से भरें और पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करें।
3-आपका रजिस्ट्रेशन मोबाइल और ईमेल के माध्यम से भेजे गए ओटीपी के माध्यम से कन्फर्म किया जाएगा।
4- रजिस्ट्रेशन के बाद, अपने डैशबोर्ड तक पहुंचने के लिए अपने मोबाइल नंबर और पासवर्ड से लॉग इन करें।
5- यात्रा योजना विवरण दर्ज करने के लिए तीर्थयात्रियों या पर्यटकों को जोड़ें पर क्लिक करें।
6- जानकारी दर्ज करने के बाद, फॉर्म को सेव करें। एक विंडो दिखाई देगी जिसमें नाम, दिनांक और डेस्टिनेशन के बारे में जानकारी होगी।
7- तीर्थयात्रियों का विवरण जोड़ने के लिए, “तीर्थयात्री जोड़ें” बटन पर क्लिक करें।
8- जब आप रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं, तो आपको एक यूनिक रजिस्ट्रेशन संख्या के साथ एक एसएमएस प्राप्त होगा ।
9- आप चारधाम यात्रा यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन पत्र डाउनलोड कर सकते हैं।
हम आशा करते है की आपकी चार धाम की यात्रा शुभ और मंगलमय हो।
शुभ यात्रा !