ये वादा है इतनी जल्दी न तुम शहर जाओगे

चित्रकूट आओगे तो थोड़ा ठहर जाओगे।

प्रभु राम के चरण कमल

प्रकृति की जादूगरी हूं मै,

रोमांच का दामन थामे हूं

धर्म की भी नगरी हूं मै,

जहां तक नज़रे जायेंगी

सतयुग ही सतयुग पाओगे,

पाप किए हो कितने क्यो ना 

यहां राम राम ही गाओगे,

पापों की गगरी सर पर लेकर 

कामतानाथ से ह्रदय तुम भर लो,

लगा लो डुबकी जानकी कुण्ड में

पुण्य की ओर उदय तुम कर लो,

ये वादा है इतनी जल्दी न तुम शहर जाओगे

चित्रकूट आओगे तो थोड़ा ठहर जाओगे।

600 सीढ़ी हनुमान धारा की 

यूं चुटकी में चढ़ जाओगे,

प्रभु राम सेवा में लीन तुम होकर

लक्ष्मण पहड़ी बढ़ जाओगे,

जहां राम घाट के द्वार पर 

संतो की हुईं गई भीर,

तुलसीदास चंदन घिसें

और तिलक देत रघुवीर,

झलकियां गुप्त गोदावरी की

मनमोहक जादू कर देंगी,

सकरी सकरी गुफा यहां की

रोमांच रगों में भर देंगी,

ऊंची ऊंची चट्टानों में

अनुसूया का धाम मिलेगा,

पतिव्रता का वर तुम कर लो

फिर जीवन भर आराम मिलेगा,

अमर प्रेम की गाथा कहती

सीता जी की रसोइं हैं,

पातालपुरी हनुमान धारा ने

भक्तों के दिल में ज्वाला बोई है,

स्फटिक शिला के पत्थर पर

काक राज़ विलाप मिलेगा,

भरत कूप के जलग्रह में

भरत भईया का प्रताप मिलेगा,

ये वादा है इतनी जल्दी न तुम शहर जाओगे

चित्रकूट आओगे तो थोड़ा ठहर जाओगे।

प्रकृति ने उपहार स्वरूप

शबरी का वाटरफॉल दे दिया,

चित्रकूट पर्यटन विकास ने 

म्यूज़ियम लॉन्ग एंड टॉल दे दिया,

कांच वाले ट्रस्ट मंदिर की 

भव्यता में तुम खो जाओगे,

परिक्रमा अबकी लगाओगे 

तो बस यहीं के हो जाओगे,

ये वादा है इतनी जल्दी न तुम शहर जाओगे

चित्रकूट आओगे तो थोड़ा ठहर जाओगे।

जहां गर्व से खड़े पहाड़ भी है

यहाँ त्योहारों की दहाड़ भी है,

जहां धर्म की अनोखी गाथा है 

यहाँ सौंदर्य टेकता माथा है ।

जहां कलकल करते झरने है 

यहाँ पुण्य के गागर भरने है, 

जहां भजन संध्या की दस्तक है 

यहाँ कोटी कोटी नतमस्तक है।

जहां कलाकारी है गणेश बाग की

यहाँ कांच के मंदिर की नक्काशी है,

जहां विराध कुंड राक्षस की कहानी

यहाँ प्रमोद वन ही छोटी काशी है।

जहां बीहड़ है ददुआ का

यहाँ की अलग कहानी है,

सरल स्वभाव के लोग जहां

जिनकी बड़ी अल्हड़ जवानी है।

सीता राम के अमर प्रेम के

किस्से ही तुम गाओगे,

ये वादा है इतनी जल्दी न तुम शहर जाओगे

चित्रकूट आओगे तो थोड़ा ठहर जाओगे।

चित्रकूट 

क्या आप भारत की यात्रा की योजना बना रहे हैं और आध्यात्मिकता और प्रकृति से जुड़ने के लिए किसी जगह की तलाश कर रहे हैं? उत्तर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित एक छोटा सा शहर चित्रकूट से आगे नहीं देखें। “कई आश्चर्यों की जगह” के रूप में जाना जाता है, चित्रकूट हिंदू पौराणिक कथाओं में डूबा हुआ है और इसे भारत में सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। 

प्रकृति ने इस क्षेत्र को बहुत उदारतापूर्वक अपने सभी उपहार प्रदान किये हैं, जो इसे दुनिया भर से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम बनाता है। अत्री, अनुसूया, दत्तात्रेय, महर्षि मार्कंडेय, सारभंग, सुतीक्ष्ण और विभिन्न अन्य ऋषि, संत, भक्त और विचारक सभी ने इस क्षेत्र में अपनी आयु व्यतीत की और जानकारों के अनुसार ऐसे अनेक लोग आज भी यहाँ की विभिन्न गुफाओं और अन्य क्षेत्रों में तपस्यारत हैं। इस प्रकार इस क्षेत्र की एक आध्यात्मिक सुगंध है, जो पूरे वातावरण में घुली हुई है और यहाँ के प्रत्येक दिन को आध्यात्मिक रूप से रोज़ नया बनाती है।

तो चलिए आज शहर यार की टीम आपको घर बैठे बैठे दर्शन करवाएगी इस पावन धाम के सभी मुख्य स्थलों की और सभी मुख बाज़ार तथा संस्कृति की, मुझे मालूम है आपको अब इंतजार नहीं हो रहा खैर इंतज़ार तो हमसे भी नहीं हो रहा तो चलिए चलते है इस दिलकश नजारे की आगोश में खुद को मदहोश करने।

चित्रकूट का इतिहास

उत्तर प्रदेश में 6 मई 1997 को बाँदा जनपद से काट कर छत्रपति शाहू जी महाराज नगर के नाम से नए जिले का सृजन किया गया जिसमे कर्वी तथा मऊ तहसीलें शामिल थीं। कुछ समय बाद, 4 सितंबर 1998 को जिले का नाम बदल कर चित्रकूट कर दिया गया। यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में फैली उत्तरी विंध्य श्रृंखला में स्थित है। यहाँ का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट और मध्य प्रदेश के सतना जनपद में शामिल है। चित्रकूट का पौराणिक इतिहास भी किसी से छुपा नहीं है वाल्मीकि रामायण में चित्रकूट का उल्लेख मिलता है जिसमें श्री प्रभु राम सीता जी ने लक्ष्मण जी के संग चित्रकूट की पहाड़ियों में चित्रकूट के क्षेत्र में साडे 11 वर्ष वनवास के दौरान के काटे थे और तमाम ऋषि-मुनियों से भेंट की थी और तमाम राक्षसों का वध किया था।

चित्रकूट भूगौलिक दृष्टिकोण

चित्रकूट उत्तर प्रदेश वाह मध्य प्रदेश के बीच में पड़ता है जिसे विंध्य पर्वत श्रेणी भी कहते हैं चित्रकूट का आधा हिस्सा उत्तर प्रदेश में हरियाली के बीच में पड़ता है तथा कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश के सतना जिले के समीप पड़ता है या सतना जिले के अंतर्गत ही आता है।

पर्यटन

रामघाट

चित्रकूट के घाट पर, भइ सन्तन की भीर। 
तुलसिदास चन्दन घिसें, तिलक देत रघुबीर॥ 

गोस्वामी तुलसीदास ने रामघाट पर भगवान श्रीराम के दर्शन किए थे। यह घाट आज आधुनिकता से रंगा है पूरा घाट लाल पत्थर के बने है लेकिन घाट पर प्राचीन मंदिर भी देखे जा सकते है। 

कामतानाथ जी मंदिर व परिक्रमा स्थल

कामनाथ जी मंदिर 

कामतानाथ जी चित्रकूट का प्रमुख स्थल है, जहां पर प्रभु राम ने साढ़े ग्यारह वर्ष का वनवास काटा था।  यहां पर सतयुग काल के बने लगभग सभी मंदिर वैसे ही अवस्था मै आज भी मिलेंगे। ऐसी मान्यता है कि कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं तथा नंगे पैर परिक्रमा लगाते हैं। कामदगिरि के मुख्य देव भगवान कामता नाथ हैं।

लक्ष्मण पहाड़ी

लक्ष्मण पहाड़ी 

कहते हैं की कामदगिरि पर्वत पर श्री लक्ष्मण जी ने थोड़ी सी ऊंचाई में जाकर अपना एक स्थान सुनिश्चित किया था जहां से वह चारों ओर अपनी पैनी नजर रखते थे। ताकि कोई भी प्राणी कोई भी राक्षस अथवा जनजाति यदि पर्वत की ओर आक्रमण या कूच करें तो लक्ष्मण जी को ऊपर से ही सावधान होने का मौका मिल जाए। और सही समय देखते हुए दुश्मनों का नास करने का मौका मिल जाय। पहाड़ी तक जाने का रास्ता स्वयं लक्ष्मण जी ने मनाया था। इसके अलावा वहां पर एक मंदिर भी है जहां पर लक्ष्मण जी के पैरों के निशान आज भी हैं और प्रभु श्री राम लक्ष्मण एवं माता सीता के विभिन्न स्वरूप वहां पर देखने को मिलते हैं।

सीता रसोई

सीता रसोई 

मान्यता है कि सीता जी ने यहां चावल पकाए थे। यह रसोई एक प्राचीन मंदिर के निकट अत्यन्त प्राचीन गुफा में स्थित है। इसमें पत्थरों पर खुदे कुछ दुर्लभ चित्र भी मौजूद हैं। मान्यताओं के अनुसार सीता जी प्रभु राम और लक्ष्मण जी के साथ जहां-जहां भी वनवास के दौरान गई थी वहां पर खाना पकाने इत्यादि के लिए उन्होंने एक स्थान चुना था जिनमें वह खाना पकाती थी उन सभी स्थानों को आज सीता रसोई के नाम से जाना जाता है। चित्रकूट में सीता रसोई के 4 किलोमीटर दूर एक सीता पहाड़ी भी है अगर मौका लगे तो वहां भी जरूर जाइएगा।

हनुमान धारा

हनुमान धारा 

यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और भगवान हनुमान को समर्पित है। मंदिर आसपास की पहाड़ियों और घाटियों के लुभावने दृश्य प्रस्तुत करता है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में झरने के नीचे स्नान करने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

गुप्त गोदावरी

गुप्त गोदावरी 

यह अपने आप में एक अनोखा रहस्य है जो प्रकृति की छटा को अपने अंदर समाए हुए हैं इस गुफा श्रेणी में दो रास्ते हैं दोनों ही रास्तों में गोदावरी नदी का उद्गम भी है और समापन भी है । किसी को नहीं पता चला कि इसका समापन होता कहां है क्योंकि गुप्त गोदावरी की गुफाओं के बाहर की ओर कहीं भी गोदावरी नदी का उद्गम या समापन नहीं दिखता है। इसको लेकर बहुत सारे वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किए लेकिन वह विफल रहे । जाड़े के समय में अंदर का पानी बेहद गर्म रहता है और गर्मी के समय में यह पानी बेहद शीतल हो जाता है ये भी एक अचंभा है। माना जाता है कि माता गंगा जी प्रभु श्रीराम से मिलने इसी गुफा में गुप्त तरीके से आई थी जिस कारण इस जगह का नाम गुप्त गोदावरी पड़ा।

स्फटिक शिला

स्फटिक शिला 

यह तीर्थयात्रियों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है और कामदगिरि मंदिर के पास स्थित है। माना जाता है कि चट्टान वह स्थान है जहां भगवान राम और उनकी पत्नी सीता अपने वनवास के दौरान चित्रकूट में बैठे थे। चट्टान को वर्षों से पॉलिश किया गया है और अब इसमें एक चिकनी, कांच जैसी फिनिश है।

सती अनुसूया आश्रम व धाम

सती अनुसूया आश्रम 

यह मंदिर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है और ऋषि अत्रि की पत्नी को समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सती अनुसुइया अपने पति के प्रति समर्पण के लिए जानी जाती थीं और उन्हें पवित्रता और विश्वास का प्रतीक माना जाता था। मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।

जानकी कुंड

जानकी कुंड 

जानकीकुड मे हम लोग माता सीता के चरणो के चिहनो के दर्शन कर सकते है इसी के पास स्थित रघुवीर मन्दिर के भी दर्शन कर सकते है माता सीता को जानकी नाम से भी जाना जाता है इसलिए इस स्थान को जानकीकुड कहा जाता है। यहां पर माता स्नान करती थी एकांत स्थान हों के कारण कभी कभी माता यहां स्नान करने आती थीं। इस स्थान पर नदी का पानी बेहद ठंडा वह साफ है जिस कारण अक्सर श्रद्धालु यहां पर पूरी मस्ती करने आते हैं।

भरत कूप

भरत कूप 

इस कुएँ के पानी का सेवन करने के लिए यहा पर बहुत  दूर से लोग आते है बादां से चित्रकूट जाते समय भर्ती भरत कूप पड़ता है यहा एक छोटा सा गांव है, जब आप इस अद्भुत कुएँ के पास पहुंचते है आपके मन को अलग सी शान्ति महसूस होती है। माना जाता है कि इस कुएँ के पानी से स्नान करने से शरीर के सारे रोग खत्म हो जाते है।

चित्रकूट म्यूज़ियम

चित्रकूट म्यूजियम 

चार धाम के रास्ते में ही चित्रकूट म्यूजियम पड़ता है जिसमें प्रभु श्री राम माता सीता हनुमान जी की विशाल मूर्तियां है जिनको देखने पर ऐसा लगता है कि स्वयं भगवान बैठे हुए हैं वह भी जागृत अवस्था में और इस परिसर में बहुत ही मनमोहक बाग आदि है जो विभिन्न प्रकार के फूलों पेड़ व पौधों से सुसज्जित है तथा परिसर के म्यूजियम क्षेत्र के अंदर आपको दीवारों पर संपूर्ण रामायण लिखी हुई देखने को मिलती है तथा विभिन्न प्रकार के राम राज्य से जुड़े या जुड़ी वस्तुएं देखने को मिलती हैं हर एक कंट्री में जहां पर रावण का अलग स्वरूप दिखाया जाता है वह सभी स्वरूप आपको इस म्यूजियम में देखने को मिलते हैं साथ ही यहां का सुगंधित माहौल व सतयुग कालीन वस्तुएं देखकर आपका मन पूर्णतया रोमांच से भर उठता है।

गणेश बाग मिनी खजुराहों

गणेश बाग़ 

यह कर्वी-देवांगना रोड पर स्थित है। यह 19वीं शताब्दी में विनायक राज पेशवा द्वारा बनाया गया था इस जगह में एक मन्दिर है, जो खजुराहो की कला शैली जैसी शैली में निर्मित है। मूल खजुराहो के साथ इसकी वास्तुकला की समानता के कारण यह स्थान मिनी खजुराहो के रूप में भी जाना जाता है।

कांच वाला मंदिर

कांच वाला मंदिर 

इस मंदिर परिसर की स्थापना जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी द्वारा कराई गई थी यह मंदिर परिसर चारों तरफ से अंदर व बाहर से सुंदर-सुंदर रंग-बिरंगे कागजों से सजाया गया है जिस की कारीगरी देखने लायक होती है यहां पर कुछ ही दूरी पर जानकी कुंड स्थित है इस मंदिर के आसपास आपको हंस वगैरा देखने को मिल जाते हैं तथा पीछे और आगे की ओर सुंदर बागान देखने को मिलते हैं।

शबरी वाटरफॉल

शबरी वॉटरफॉल 

श्रीराम की तपोभूमि में पयस्वनी नदी पर शबरी जल प्रपात साल भर आकर्षण की छटा बिखेरता है। पर्यटक अक्सर इस स्थान के बारे में नहीं जानते हैं लेकिन चित्रकूट में रोमांच प्रिय लोगों के लिए शबरी वाटरफॉल सबसे बड़ा रोमांच पैदा करने वाला स्थान है। बारिश के सीजन में जय स्थान देखने लायक होता है तथा यहां पर खड़े होने के बाद ऐसा एहसास होता है कि हम बादलों के आसपास हैं या किसी जन्नत में खड़े हुए हैं यह एक बहुत सुकून देने वाली जगह है जहां पर हर यात्रियों को एक बार तो जरूर आना चाहिए और इस जगह का पूरा मजा उठाना चाहिए।

प्रमोद वन

प्रमोद वन 

चित्रकूट में घूमने वाली जगह प्रमोद वन राम घाट से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में सतना रोड पर स्थित है। एक सुंदर बगीचे के रूप में जाना जाने वाला यह स्थान मंदाकनी नदी के किनारे पर स्थित हैं। प्रमोद वन का निर्माण रीवा के महाराज विश्वनाथ प्रताप सिंह जूदेव ने करबाया था। 

विराध कुंड

विराध कुंड 

शबरी फॉल से इसकी दूरी लगभग 6 किलोमीटर हैं। माना जाता हैं कि इस जलाशय का पानी पाताललोक तक पहुंचता है। पौराणिक कथाओं से पता चलता हैं, कि इस स्थान पर एक विरध नाम का राक्षस रहता था। जिसे बाद में भगवान राम ने मारा था। यह राक्षस इस कुंड के जरिए पाताललोक भाग जाया करता था।

जलवायु वातावरण

चारों तरफ़ हरे भरे लहलहाते जंगल पहाड़ो से घिरा चित्रकूट वैसे तो मौसम के अनुसार सामान्य रहता है, यहां वर्षा अधिक होती है, तथा गर्मी भी अधिक पड़ती है। अमूमन ये स्थान बारिश मै मनमोहक हो जाता है और यहां घूमने का मजा चार गुना हो जाता है।

शांति, आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता चाहने वालों के लिए चित्रकूट एक आदर्श स्थान है। यह स्थान पौराणिक कथाओं में डूबा हुआ है और इसे भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यदि आप चित्रकूट की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप जगह के वास्तविक सार का अनुभव करने के लिए इन सभी लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों पर जाएँ।