आइए बताते हैं कि क्यूं कहते हैं इसे पहाड़ों की रानी!!
शिमला, शिमला का नाम सुनते ही हमारी आंखें कुछ बड़ी सी हो जाती हैं, हमारे चेहरे के हाव-भाव आकर्षक मोड ले लेते हैं शिमला का नाम सुनते ही हम हवाओं में उड़ने लगते हैं ये कल्पना इतनी उत्तेजित होती है कि ऐसा लगता है कि हम शिमला में ही हैं ऐसा है ठंडी हवाओं का शहर शिमला !
मौसम में कुछ इस कदर खुमार छाया है,
कि मन आज शिमला जाने को आया है,
इसकी ठंडी वादियो ने इस दिल को मचलाया है,
शिमला को पाकर जैसे हमने कायनात को पाया है।
मोहब्बत में बहकने से ज्यादा तो लोग शिमला के विहंगम दृश्य से बहकते हैं
इसकी सड़कों पर एक आकर्षण सा है इसकी सड़कों पर पैर खुद ब खुद थिरकने लगते हैं
ठंड के मौसम में ना नहाए तो शिमला की ठंडी फुहारे ही शरीर को आबसार से भर देती हैं
लड़कियों की जुल्फे तो अक्सर मौसम बदल दिया करती है पर यहां का मस्ताना मौसम तो लड़कियों की जुल्फे लहरा देते हैं और एक सुरमई शाम को जन्म देते हैं।
शिमला का इतिहास
शिमला के बारे में कुछ चीजें इतनी दिलचस्प और आश्चर्य जनक हैं जिनके बारे में शायद कुछ लोगों को पता ही नहीं होगा। शिमला जैसा कि आज दिखाई दे रहा है सदियों पहले ये सिर्फ एक जंगल था यहां पर सबसे पहले नेपाल का शासन हुआ करता था। उसके काफी समय बाद यहां पर ब्रिटिश का कब्जा हुआ तब शिमला ब्रिटिश की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। धीरे धीरे यहां पर विकास होना शुरू हुआ और जब भारत आज़ाद हुआ तो कुछ समय बाद हिमाचल प्रदेश राज्य का गठन हुआ और शिमला को उसकी राजधानी घोषित कर दिया गया। शिमला का नाम श्यामला मंदिर के नाम पर है यहां पर अंग्रेज़ों के समय में श्यामला नाम का एक मन्दिर हुआ करता था जो बहुत ही विख्यात था। पुराने समय में शिमला खासतौर पर जाखू मंदिर की वजह से चर्चा में हुआ करता था क्यूंकि उस वक़्त वहां जंगल के अलावा ज़्यादा कुछ भी नहीं था। ये मंदिर पर्यटकों को आज तक यहां आने के लिए आकर्षित करता है।
शिमला का भौगोलिक दृश्य
क्या मानसून, क्या जलवायु, क्या बर्फीली हवाएं
ठंड के मौसम में बस मन शिमला जाने को आए
शिमला सात पहाड़ियों के ऊपर स्थित है जो सात स्कंधो वाले टीले पर फैला हुआ है। शिमला की सबसे उच्चतम पहाड़ी जाखू है जो प्राचीन समय से प्रसिद्ध है। ये वही जाखू मंदिर का पहाड़ है जहां पर हनुमान जी लक्ष्मण जी के लिए जड़ी बूटी लेने गए थे। शिमला एक भूकंपीय क्षेत्र है यहां पर भूकंप आने की अधिकतर संभावना बनी रहती है। यहां के लोक गीत, भाषा, शैली और खासकर सुहाने मौसम के लिए जाना जाता है। शिमला से मनाली और दिल्ली 7 घंटे की दूरी पर हैं।
आसमां देखूं तो तारे नजर आते हैं,
ज़मीं देखूं तो निशां
ठंड के इस मौसम में शिमला ना जाएं तो जाएं कहां !!
शिमला के पर्यटक स्थल
जहां पर वर्षों पहले जंगल हुआ करता था अब वो जगह 12 महीने गुलज़ार रहती है। शिमला सिर्फ एक जगह ही नहीं बल्कि एक नगरी है जिसकी ज़मी आसमां की चांदनी से ही भर जाती है। शिमला एक ऐसा नज़ारा है जिसपर अगर एक बार नजर पड़ गई तो मन कहता है “नजर भर के देख ले नहीं” बल्कि “नज़र बस यहीं ठहर जाए” !!
शिमला यानी पहाड़ों की रानी सिर्फ पहाड़ों की खूबसूरती से ही नहीं बल्कि अपने आकर्षक पर्यटक स्थल से भी लोगों को लुभाता है। अंग्रेजों के ज़माने का बना Christ Church लोगों के दिलों में आज भी एक खास जगह रखता है ये वास्तुकला के अनुसार नव गाथिक शैली से उल्लेखित है। इस चर्च की उत्पत्ति 1857 में हुई थी और ये प्राचीनतम ऐतिहासिक चर्च रिज पर उपस्थित है। इसकी चमकती ग्लास जैसी खिड़कियां यहां पर हुजूम बना देती हैं।
जिस नाम पर शिमला को उसके नाम से एक पहचान मिली वो मंदिर श्यामला मंदिर अपनी स्थापत्य सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व दोनों के लिए ही प्रसिद्ध है। इस मंदिर को काली बाड़ी मंदिर के नाम से जानते हैं इस मंदिर में देवी मां की अद्भुत मनोरम मूर्ति स्थापित है।
शिमला की जलवायु और मौसम
“मस्ताना मौसम है रंगीन नज़ारा” शिमला की ज़मी पर कदम रखते ही ये गाना ज़ुबां पर आता है। जाहिर सी बात है यहां का मौसम लोगों की मोहब्बत का काफिला बना दिया करता है। एक ऐसा मौसम एक ऐसा नज़ारा कि आंख बंद करके जिसकी परस्तिश करने को मन होता है।
शिमला की जलवायु उपोष्णकटबंधिय उच्चतम जलवायु है। सामान्य तौर पर यहां जनवरी के मौसम में बर्फबारी होती है। ठंडक के मौसम में ठंडक और गर्मी में मध्यम गर्म होता है।
हाय ये बूंदे जब चेहरे पे पड़ती हैं ना तो उंगलियां खुद पे खुद गालों पर फेरने को जी करता है और आंखे कुछ रोमांटिक सी हो जाती हैं। शिमला के बर्फ से ढके पहाड़ बेहद मुंफरिद लगते हैं।
” आ जाए जो इस इश्क़ के मकतब में
जाने को दिल ना करे वापस यहां से “
शिमला के पारंपरिक भोजन और स्वाद (स्वादिष्ट व्यंजन)
ऐसा सबको स्वाद चखाया
इसके बाद कुछ और ना भाया
“देवताओं की भूमि” का
जिस पर है हमेशा साया
स्वादिष्ट व्यंजनों से सभी को दीवाना बनाया!!
यात्रा करते करते अगर एक कप चाय के साथ बबरू कचौड़ी का स्वाद मिल जाए तो बात ही कुछ और है। जी हां हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के सबसे स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक बबरू की, जो एक आदर्श भोजन के रूप में प्रसिद्ध है। शिमला आइए और इस कचौड़ी का स्वाद अवश्य लीजिए!!
अरे! इतने में ही पेट थोड़ी ना भरेगा। शिमला आए और यहां के तरह तरह के व्यंजनों को नहीं चखा तो फिर क्या ही किया!! कचौड़ी के साथ साथ कुछ खट्टा भी लीजिए, जी हां! काले चने का खट्टा, जिसे आमतौर पर पहाड़ी व्यंजन के नाम से जानते हैं। इसका स्वाद खाने के बाद लगभग 10 दिनों तक ज़ुबां पर रह जाता है ऐसे हैं शिमला के स्वादिष्ट व्यंजन!!
शिमला के स्थानीय परिवहन
आई है अब शिमला घूमने की बारी
हम भी हैं भाई शिमला के सवारी
पहाड़ नदियां सब भाने लगे हैं हमको
याद आ रही है शिमला की वो बर्फबारी!!
शिमला अभी भी परिवहन के मामले बहुत आगे नहीं है यह धीरे धीरे विकास की ओर बढ़ रहा है। शिमला का स्थानीय परिवहन आमतौर पर बस है। आस पास के क्षेत्रों में जाने के लिए बस का ही प्रयोग करते हैं। ढलान जैसी जगहों के कारण ऑटो रिक्शा का प्रयोग ना के बराबर है। टैक्सी भी एक बेहतर विकल्प है जो शिमला में लगभग समय समय पर उपस्थित है।
ऐसा है शिमला पहाड़ों की रानी
“तो देखा आपने शिमला की कहानी
इसके दृश्य मजबूर करते करने को नादानी”
“तो ऐसा है हमारा शिमला
जहां लगता है बारह महीनों मेला”
अगर आप कविताएं करते हैं तो एक बार शिमला आना तो बनता है क्योंकि यहां के दृश्यों को देखकर शायरी करने को दिल होता है। भगवान का ध्यान करने के लिए शिमला एक अलौकिक स्थान है जो खासतौर पर प्राचीन मंदिरों की पहचान है।
यहां की सड़कें, मल्टीप्लेक्स, मॉल तो यहां का सबसे ज्यादा आकर्षित केंद्र हैं। हरियाली ऐसी जिनमें ना सिर्फ फूलों की खुशबू है बल्कि आंखों का नीर भी शामिल है। क्यूंकि जिसको है प्रकृति से प्यार वो शिमला आने से कैसे करे इनकार!!