पीला रंग है जिसका अद्भुत 

जो आए खो जाए सुध बुध

रेगिस्तान से घिरा है ऐसा 

जैसलमेर नहीं कोई जैसा!!

बुनना चाहते हैं आप अपनी हजारों ख्वाहिशों को, पंख देने चाहते हैं इन्हें, तो देखिए सिर्फ यहां सोचने से तो वो ख्वाहिश पूरी नहीं होगी तो चलिए ले चलते हैं आपको वहां जहां आपको अपनी ख्वाहिशों  की मंज़िल मिल सके!!!!

राजस्थान के खूबसूरत शहरों में शुमार जैसलमेर खासतौर पर अपनी सुंदरता और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। इसकी सुंदरता की वजह से पर्यटक यहां आने के लिए उत्सुक रहते हैं। ये अपनी खूबसूरत प्राकृतिक वादियों, सड़कों और महलों की अद्भुत अनोखी दास्तां से लोगों को लुभाता है और अपने दृश्यों को निहारने के लिए मजबूर करता है। जैसलमेर शहर सुनहरा शहर के नाम से विख्यात है रेगिस्तान यहां का मुख्य केंद्र है।

जैसलमेर चारों तरफ से रेगिस्तान से घिरा हुआ और अनेक हवेलियों से सृजित है। यहां की हर वस्तु हर जगह में पीला रंग शामिल है। यहां के प्राचीन मंदिर यहां के दृश्य और पर्यटकों के मन को और अधिक शोभित करते हैं। 

जैसलमेर का इतिहास

स्वर्णनगरी जैसलमेर का निर्माण भाटी के राजपूत शासक वंशज रावल जैसल ने किया था उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम जैसलमेर पड़ा। जैसलमेर का प्राचीन नाम “माडधरा” प्रसिद्ध था। जवाहर सिंह भाटी जैसलमेर का अंतिम शासक था। वर्तमान समय में जैसलमेर के राजा चैतन्य राज सिंह को बनाया गया। इस शहर का नाचना गांव इस शहर के गांव की मुख्य भूमिका में है जिसे “रहस्यमई गांव” कहा जाता है। यह शहर पर्यटन नगरों में से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर पूरा रेगिस्तान है इसलिए इसे सर्वश्रेष्ठ पर्यटन नगर कहा जाता है। 

जैसलमेर का भौगोलिक  (दृश्य)

जैसलमेर भारत के पश्चिम भाग में स्थित है जो थार के रेगिस्तान के दक्षिणी भाग में है। ये शहर थार के रेगिस्तान से घिरा हुआ है। यहां पर जगह-जगह पर रेत के ऊंचे ऊंचे टीले और बलुआ पत्थर हैं जो दूर-दूर तक फैले हुए हैं और मौसम के अनुसार ये अपना स्थान बदलते रहते हैं। यहां रेत के टीले और भारी-भारी पत्थरों की वजह से यहां का मौसम मई-जून के महीने में काफी गर्म होता है और दिसंबर-जनवरी के समय में उतना ही ठंडा रहता है। जैसलमेर की बारिश का पानी काफी मीठा रहता है और यहां पर बारिश का पानी यहां के पानी का मुख्य साधन है। 

जैसलमेर के पर्यटक स्थल 

स्थापत्य कला से सजी हैं जिसकी दीवारें;

रौनक लाती हैं जिसकी ऊंची-ऊंची मीनारें;

रेगिस्तान से सजा है जिसका दरबार;

फिर क्यूं ना करे कोई जैसलमेर से इतना प्यार!!!! 

ढलते सूरज के समय अगर जैसलमेर के पर्यटक स्थल के दर्शन कर लिया जाए तो शाम बेहतरीन और हसीन हो जाएगी। 

कुलधरा गांव 

जरा सोचिए जहां पर लगभग 200 साल पुरानी चीजों को देखने का सौभाग्य प्राप्त हो तो वहां दौड़े दौड़े जाएंगे। जी हां ये है जैसलमेर का कुलधरा गांव जहां पर ना जाने कितने वर्षों पुरानी चीजें देखने को मिलती है इस गांव को “भूतिया गांव” कहा जाता है क्योंकि एक समय पर यहां पर रात के समय कोई नहीं था और ये जगह बिल्कुल सुनसान हो गई थी इसलिए इसे भूतों का गांव कहते हैं। 

ताजिया टावर 

नक्काशी से सजा यह टावर जैसलमेर का सबसे ऊंचा टावर है इसीलिए इसे बादल महल कहा जाता है। यह देखने में काफी खूबसूरत है इसीलिए इसे ताजिया टावर कहा जाता है क्योंकि इसकी सजावट ताजिया के जैसी की गई है।

जैसलमेर किला

कैमरे में तस्वीर लेते वक्त अगर आपकी आंखों में एक चमक सी महसूस हो और आप अपना कैमरा हटा कर देखें कि सामने से सोने सा कुछ चमक रहा है तो स्पष्ट रूप से आप जानना चाहेंगे कि आखिर वो है क्या? चलिए देखते हैं वो चीज़!

ये है जैसलमेर का मुख्य किला यानी सोनार का किला जो जैसलमेर का मुख्य केंद्र है। पीले बलुए पत्थर से बना हुआ ये मनमोहक किला “स्वर्ण किले” के नाम से जाना जाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि सूर्यास्त के समय ये सोने की तरह चमकता है और चेहरे पर एक मुस्कान प्रतिबिम्बित करता है। इसका सोने जैसा पीला चमकीला रंग हमारे पूरे हृदय को रंगता है तो इसे देखे बिना यहां से जाना अब असंभव सा लग रहा। 

इसका निर्माण भाटी राजपूत शासक जैसल द्वारा त्रिकुटा पहाड़ी के शीर्ष पर किया गया था। जैसलमेर किला थार के रेगिस्तान के बीचो-बीच बना हुआ है और इसकी चमकती हुई दीवारें दूर दूर से लोगों को अपनी और आकर्षित करती हैं। ये किला बलुआ पत्थरों को आपस में जोड़कर बनाया गया है। राजस्थान का ये सबसे पुराना और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा किला है। 

जैसलमेर वन्य जीव अभ्यारण

चूंकि जैसलमेर भारत के दक्षिणी और थार मरुस्थल के पश्चिमी भाग में स्थित है। सर्वश्रेष्ठ पार्को में गिना जाने वाला राष्ट्रीय मरू उद्यान दक्षिणी पश्चिमी भाग में  जैसलमेर से कुछ दूरी पर स्थित है जो पार्कों में जैसलमेर की मुख्य धरोहर है। मरू राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे बड़ा उद्यान है। इस वन के मुख्य प्राणी जीव सांप, बिच्छू, नील गाय, फुंसा, रेगिस्तानी जीव,भेड़िया आदि शामिल हैं।

जैसलमेर की जलवायु

थार मरूस्थल के दक्षिणी भाग में स्थित होने की वजह से यहां का मौसम गर्मियों में अधिक गर्मी और ठंडक में अधिक ठंडक वाला शहर है। जैसलमेर राजस्थान का सबसे शुष्क जिला है। यहां पर मौसम के अनुसार चलने वाली हवाओं को “लू” कहा जाता है। 

जैसलमेर की भाषा संस्कृति

जैसलमेर की संस्कृति यहां की अनुपम धरोहर है। यहां की भाषा में अपनत्व झलकता है।

जैसलमेर की मुख्य भाषा शैली मारवाड़ी है क्योंकि यहां के अधिकतर क्षेत्र में मारवाड़ी भाषा बोली जाती है जो अपने आप में एक अलग पहचान है। जैसलमेर लोक कलाओं का भंडार है। कठपुतली जो भारत की मुख्य कला है वो पूरे राजस्थान का केंद्र है। आज भी लोग यहां पर इस शैली को खोजने के लिए आते हैं क्योंकि आज के सोशल मीडिया के जमाने में ये कहीं लुप्त हो कर रह गई है फिर भी लोगों द्वारा इसे सुरक्षित किया जा रहा है। 

जैसलमेर के पारंपरिक व्यंजन

“बैठे थे जैसलमेर के कुछ खास पौधों के पास जिसके लाल-लाल फूल मंद मंद मुस्कुरा रहे थे” अचानक से एक भंवरा वहां आया और मेरे कानों में चुपके से कह गया, यहीं पे बैठे रहोगे क्या यहां के व्यंजन नहीं चखोगे? चलो इसका भी आनंद लेते हैं। 

आंखें फाड़ फाड़ के काहे देख रहे हो! ये देखने में इतना खूबसूरत है तो खाने में कितना होगा चलो खाओ! आहा, मजा आया ना! यही तो है जैसलमेर के व्यंजनों की खासियत, “जो एक बार खाता है वह बार-बार आता है।” 

दाल बाटी चूरमा 

वैसे तो दाल बाटी चूरमा पूरे राजस्थान का प्रमुख व्यंजन है लेकिन यह जैसलमेर का भी खास पारंपरिक व्यंजन है जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं। चटपटी दाल, चटपटा स्वाद; एक शाम बिताते हैं, दाल बाटी चूरमा के साथ!!

प्याज की कचोरी 

मंदिर में बैठे हैं भगवान का ध्यान करने के लिए और मन में प्याज की कचोरी के दर्शन कर रहे हैं। चेहरे पर मुस्कुराहट आ रही है कि अभी जाएंगे तो प्याज की कचोरी खाएंगे। जीभ लप लप कर रही है खाने के लिए! तो चलिए खाइए ना, काहे मन को मारिए! जैसलमेर किले से कुछ दूरी पर मौजूद एक खास दुकान पर प्याज की कचोरी का आनंद ले सकते हैं। 

जैसलमेर कैसे पहुंचे

अगर आप यह सोच रहे हैं कि जैसलमेर है तो बहुत खूबसूरत लेकिन यहां आसानी से कैसे पहुंचे तो ये भी बता देते हैं कि जैसलमेर कैसे पहुंचे ? वैसे तो जैसलमेर जाने का सबसे बेहतरीन और सरल साधन है रेलगाड़ी जिसके जरिए आप आसानी से आप अपने पसंदीदा शहर पहुंच सकते हैं। क्योंकि जैसलमेर महानगर है और इसकी रेलवे लाइन हर बड़ी जगह से कनेक्टेड हैं। इसके अलावा आप बस से भी इसकी यात्रा कर सकते हैं लेकिन आपको बीच-बीच में अपना साधन बदलना पड़ेगा क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए बस की कोई डायरेक्ट सर्विस नहीं है। 

उम्मीद है कि जैसलमेर के खूबसूरत दृश्यों ने आपके मन को मोह लिया होगा और आप मन में कल्पनाएं करने लगे होंगे और मन ही मन जैसलमेर पहुंच भी गए होंगे तो “अपनी कल्पनाओं से बाहर निकलिए और करिए अपने सपनों का सामना, सपने जरूर पूरे होंगे अगर मन से करेंगे ईश्वर से कामना” 

धन्यवाद !